- सोनिक द हेजहॉग 3’ में अपनी भूमिका के बारे में जिम कैरी ने मजाक में कहा, ‘‘मुझे बहुत देर से अहसास हुआ कि मैं एक ही भुगतान के लिए दोगुना काम कर रहा था’’
- “Until I realized I was doing twice the work for the same pay,” says Jim Carrey jokingly about his role in Sonic the Hedgehog 3
- स्टेबिन बेन से लेकर अरिजीत सिंह तक: 2024 के यादगार लव एंथम देने वाले सिंगर्स पर एक नज़र!
- अक्षय कुमार और गणेश आचार्य ने "पिंटू की पप्पी" फ़िल्म का किया ट्रेलर लॉन्च!
- Sonu Sood Graced the Second Edition of Starz of India Awards 2024 & Magzine Launch
दर्द में लंबे समय तक पेन किलर खाना लिवर और किडनी के लिए नुकसानदायक
इंडियन बायोलॉजिकल आर्थापीडिक सोसायटी की दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस
इंदौर । जोड़ों को अगर सुरक्षित रखना है तो शरीर में विटामिन डी 3 और बी 12 की मात्रा का खासतौर पर ध्यान देना जरूरी है। क्योंकि एक बार इनका संतुलन बिगड़ा तो जोड़ों में लंबे समय तक परेशानी रह सकती है।
उपरोक्त विचार डॉएलएच हीरानंदानी हॉस्पिटल ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ विजय शेट्टी ने इंडियन बायोलॉजिकल आर्थापीडिक सोसायटी ( आईबॉस ) की दो दिवसीय नेशनल के पहले दिन देशभर से आए डॉक्टर्स को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
ब्रिलियंट कंन्वेंशन सेंटर में ‘‘ बॉयलाजी इज द न्यू टेक्नॉलाजी ’’ थीम पर आयोजित इस कांफ्रेंस का शुभारंभ सोसायटी के प्र्रेसीडेंट डॉ एम एस ढिल्लन, आर्गनाइजिंग कमेटी के चेयरमेन डॉ पंकज व्यास, सेक्रेटरी डॉ विनय तंतुवाय, डॉ तन्मय चौधरी , सांइंटिफिक कमेटी के चेयरमेन डॉ शीतल गुप्ता की मौजूदगी में हुआ ।
इस दौरान डॉ विजय शेट्टी ने कहा कि आर्थोबायोलॉजी जोड़ों के दर्द में काफी फायदेमंद है अगर वह ग्रेड वन और टू का है तो 3 और ग्रेड 4 के जोड़ों के दर्द वाले मरीजों को इससे फायदा नहीं होता है ऐसे मरीजों को ज्वाइंट रिप्लेसमेंट की तरफ जाना होता है। इसमें पीआरपी टेक्निक से दर्द वाली जगह प्लेटलेट रिच प्लाजमा को इंजेक्ट किया जाता है जिससे दर्द में राहत मिलती है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में जीवन शैली में जोड़ों के दर्द की एक आम समस्या हो चली है। लोगों को चाहिए कि अपने जोड़ों को सुरक्षित रखने के लिए साल में एक बार विटामिन डी 3 और बी 12 की जांच कराएं। जांच असामान्य होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। दर्द से छुटकारे के लिए उन्होंने हेल्दी लाइफ़स्टाइल , वाकिंग और एक्सरसाइज पर भी जोर दिया।
ऑस्ट्रेलिया से आए डॉ वेन थॉमस ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में एस वी एफ टेक्नोलॉजी ओस्टियो आर्थराइटिस के लिए पेटेंट टेक्नोलॉजी है । इस तकनीक मेंघुटनों के बीच एक आर्टिलेज को फिर से बनाने के लिए सेल डाल दिए जाते हैं। जिनसे कॉर्टेलिस फिर बन जाती है। और घुटने पूरी तरह सामान्य हो जाते हैं। इस तकनीक का सक्सेस रेट 85 प्रतिशत है। ज्यादातर मामलों में लोगों में जागरूकता की कमी होती है। वे दर्द से राहत पाने के लिए लंबे समय तक पैन किलर खाते है जिसका सीधा असर किडनी और लीवर पर होता है। अंततः ऐसे लोगों को जोड प्रत्यारोपण की ओर जाना ही पड़ता है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ विनय तंतुवाय ने बताया कि कार्यक्रम के पहले दिन ,स्टेम सेल्स, प्लेटलेट रिच प्लाजमा , जीन थेरेपी के द्वारा जोड़ों के दर्द से राहत पहुंचाने की तकनीक पर एक्सपर्ट ने अपने विचार रखे। इस दो दिवसीय कांफ्रेंस में देश भर से 200 से ज्यादा एक्सपर्ट आए हुए हैं। जिन्होने टिशू हिलिंग, सेल थेरेपी, जेनेटिक्स, बायोटेक्नालाजी ,आर्थास्कोपिक, ज्वाईंट प्रिवेंशन जैसे विषयों पर अपने अनुभव साझा किये ।
इस कार्यक्रम के दौरान इंडियन बायोलॉजिकल आर्थापीडिक सोसायटी के वाईस प्रेसीडेंट डॉ अरुमुगम शिवरमन, डॉ किरण आचार्य के साथ ही इंटरेन्शनल फेकल्टी डॉ विलियम मूरेल , डॉ वेन थामस, डॉ रामनाथन, डॉ बृजे्श दादरीया ने भी अपने विचार व्यक्त किये । कांफ्रेंस के दौरान डॉ तंतुवाय ने लाइव सर्जरी भी की ।